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गौतम ऋषि का मेला , पश्चिमी राजस्थान के मीणा समाज का सबसे बड़ा मेला सामाजिक प्रबंधन , अनुशासन ,एकजुटता और परम्परा की अच्छी मिसाल है जिसमे 3 लाख से ज्यादा लोगो की भीड़ इकट्ठा होती है , जाने क्यू ?

 

गौतम ऋषि का मेला , पश्चिमी राजस्थान के मीणा समाज का सबसे बड़ा मेला सामाजिक प्रबंधन , अनुशासन ,एकजुटता और परम्परा की अच्छी मिसाल है जिसमे 3 लाख से ज्यादा लोगो की भीड़ इकट्ठा होती है , जाने क्यू ?

गौतम ऋषि मेला (भूरिया बाबा मेला)

पश्चिमी राजस्थान के पाली जिले की सरहद पर हर साल आयोजित होने वाला मीणा समाज का सबसे बडा मेला सामाजिक प्रबंधन , अनुशासन ,एकजुटता और परम्परा की अच्छी मिसाल है जिसमे 3 लाख से ज्यादा लोगो की भीड़ इकट्ठा होती है गौतम ऋषि का मेला जिसे भूरिया बाबा का मेला नाम से प्रसिद्धि हासिल है |





इस मेले में मीना समाज अपने सामाजिक एवम पारम्परिक वेशभूषा से सज – धज के कर सम्मिलित होते है | ये मेला हर साल अप्रैल महीने के 13 से 15 तारिक तक आयोजित होता है | इस मेले में जालोर , पाली , सिरोही एवम अन्य क्षेत्रो से भक्तो की भीड़ एकजुट होती है | गौतम ऋषि का मंदिर सुकडी नदी के तट पर स्थित होने के कारण मेले आयी भीड़ नदी में ही अस्थायी आवास हताई बनाकर 3 दिन सपरिवार मेले लुप्त उठाते है |

 

मेले की व्यवस्था एवम प्रबंधन :-

इस मेले की यह खास बात है की यहाँ पर इतनी भीड़ के आने के बाद भी तीन दिन तक मेले की व्यवस्था के लिए किसी में पुलिसकर्मी की आयव्श्कता नहीं होती है | पुरे मेले की व्यवस्था एवम प्रबंधन का कार्यभार सभी परगनों के पंचो द्वारा संभाली जाती है | ये मेला करीबन 3 किलोमीटर तक फेला हुआ होता है जिसमे 500 मीणा युवक कार्यकर्ता व्यवस्था सँभालते है | मेले की तमाम व्यवस्था समाज के हाथो में होती है | जिससे मेले की परम्परा , रीति रिवाज एवम अनुशासन देकने को मिलता है |

 


मेले की एकजुटता :-

मेले ली एकजुटता को बरक़रार रकने के लिए सभी ओहदे के लोग समाज में सभी के साथ समाज की जाजम पर बैठते है |

 


मेले की परम्परा :-

मेले की स्थापना से चली आ रही परम्परा के अनुसार मीणा समाज अपनी हताइयो में मेले के मंगल गीत गाते है | समाज के लोग अपने अपने लड़के – लडकियों के रिश्ते करते है और गौतम ऋषि के दर्शन के बाद चूरमे का भोग लगाते है | लोग अपने मन मुटाव को दूर कर रिश्तेदारों का स्वागत करते है और महिलाए मंगल गीत गाती है |

 

मेले के अनुशासन एवम प्रतिबंध :-

मेले में अनुशासन बना रहे इसके लिए समाज के पंचो ने मिलकर नियम और कायदे बनए है |

1.      मेले में महिलाओ एवम पुरुषो के मुह पर कपडा बांधना सख्त मना है |

2.      मेले में हथियार लेकर घूमने पर प्रतिबंध है |

3.      मेले शराब पीकर प्रवेश पर प्रतिबंध है |

4.      मेले की ओरण भूमि पर पेड़ काटना या उखाड़ना सख्त मन है |

5.      मेले में विडियो शूटिंग एवम फोटोग्राफी पर प्रतिबंध है |

6.      8 बजे के बाद महिलाओ का मेले में घुमने पर पाबंधी है |

 


इस मेले की एक और खास बात यह है की मान्यतानुसार मुहूर्त के समय पर गंगावेरी में माँ गंगा का आगमन होता है जिसमे मीणा समाज के लोग अपने रिश्तेदारों और पूर्वजो किकी अस्थिया विसर्जित करते है | गौतम ऋषि के दर्शन कर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते है | भक्त जन के लिए पुरे रस्ते भर में पानी शरबत और विश्राम की वयवस्था की जाती है |  

 

 

बोलो भूरिया बाबा री जय

बोलो गौतम ऋषि री जय  

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